लखनऊ, 30 जून। जबसे केन्द्र और उत्तर प्रदेश में भाजपा सरकार आई है बेरोजगार युवाओं का गैर प्रान्तों में पलायन बढ़ा है। इसकी एक प्रमुख वजह है उत्तर प्रदेश में 24 करोड़ की आबादी की तुलना में सरकारी और निजी संस्थानों में उपलब्ध रोजगार बहुत कम है। स्वरोजगार के लिए दी जाने सहूलियत भी बहुत कम है। दूसरी ओर खेती से किसान अपनी लागत भी नहीं निकाल पा रहे है।
किसान का बेटा खेती की तरफ देखता भी नहीं और दूसरे प्रदेशों में पलायन करने को मजबूर हो जाता है। कांग्रेस प्रवक्ता संजय सिंह ने बयान जारी करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश में योगी सरकार को 6 साल हो गए। इन 6 सालों में अलग-अलग मौकों पर मुख्यमंत्री ने रोजगार देने के जो दावे किए, वो सारे दावे झूठे निकले। इन्वेस्टर्स समिट के माध्यम से भी जो दावा किया गया, वह युवाओं के साथ छलावा निकला। एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में बेरोजगारी पिछले 45 वर्षों में सबसे अधिक है और उत्तर प्रदेश उसमें नंबर वन है।
मोदी सरकार हो या योगी सरकार, नए पदों का सृजन नहीं हुआ। जिसके पीछे दूरदर्शिता और इच्छाशक्ति का अभाव था। केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार की नियत भी रोजगार देने की नहीं लगती। सरकार में जो पहले से पद उपलब्ध थे, रिटायरमेंट के बाद खाली होने पर उन पदों को भी नहीं भरा गया। बल्कि उन पदों पर संविदा के माध्यम से काम लिया जा रहा है, जिसकी आड़ में बहुत बड़ा भ्रष्टाचार का खेल चल रहा है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश एक कृषि प्रधान प्रदेश है मगर अब कृषि के माध्यम से किसान अपनी जरूरत और जिम्मेदारियों को पूरा नहीं कर सकता।
कारण है कृषि की लागत जैसे सिंचाई, यूरिया, डाई, बीज आदि का बेहद महंगा हो जाना, छुट्टा जानवरों का आतंक और तुलनात्मक रूप से एमएसपी का ना बढ़ना है। खेती अब फायदे का क्षेत्र नहीं रहा। ओडीओपी यानी कि वन डिस्ट्रिक वन प्रोडक्ट पर भी डबल इंजन की सरकार ने आशा अनुरूप काम नहीं किया। इसलिए वहां भी रोजगार के मौकों का अभाव है। इन सारी समस्याओं को लेकर युवा जब राजधानी लखनऊ में प्रदर्शन के लिए जुटता है तो उसे सिर्फ पुलिस की लाठी मिलती है। 2024 के चुनाव आने वाले हैं। ऐसे में इधर उधर की बात करने के बजाए योगी को बताना चाहिए कि युवाओं का गैर प्रान्तों की ओर पलायन कब रूकेगा।