बस्ती। शहर में साफ सफाई के अभाव में नालियां चोक हैं, डिवाइडर विलुप्त हो रहे हैं, रोड लाइटें 50 फीसदी से ज्यादा खराब हैं, वाटर कूलर जनता को चिढ़ा रहे हैं, यूरिनल में साफ सफाई ऐसी कि खड़े होने की हिम्मत नही होगी, सांडों का आतंक नागरिकों पर मौत बनकर मड़रा रहा है, सड़कें ऐसी कि 1 किमी बाइक से चलने पर पेट में दर्द होने लगे। फिर भी नेताजी की कालर टाइट है। जरा भी शर्म नही है और न जिम्मेदारियों का अहसास। डीएम, सीडीओ सिर्फ औपचारिकता निभा रहे हैं।
काम रोज 18 घण्टा करना है लेकिन नतीजे पर बिकुल बात नही करनी है। बस दिखना चाहिये कि अधिकारी आल इज वेल करने के चक्कर में रात दिन काम कर रहे हैं। जनता में और ट्वीटर पर यही संदेश जाना चाहिये। अब तो शासन ने भी निर्देश जारी कर दिया है जो पत्रकार नकारात्मक खबरें प्रकाशित कर शासन प्रशासन की छबि खराब करे उसे राइट टाइम कर दिया जाये। फिलहाल आप इन्ही दुख्वारियों के बीच अच्छे दिनों के सपने देखते रहिये। फोटो मालवीय रोड पर स्थित नरूला पुस्तक भण्डार के बगल की है।