बस्ती। नगरपालिका क्षेत्र में विकास का पहिया महीनों से थम गया है। सितम्बर अक्टूबर 2022 में होने वाले चुनाव को आरक्षण के बहाने टालकर मई 2023 में लाया गया। पिछले चेयरमैन के कार्यकाल में ही विकास को हाशिये पर रखकर केवल टाइम पास किया जा रहा था। आखिरी वक्त में वाटर कूलर्स के नाम पर लाखों रूपये के बजट का बंदरबांट चर्चाओं में रहा। मई में दूसरी सरकार बन गयी, जनता ने श्रीमती नेहा वर्मा को जिम्मेदारी सौंपी। नेहा वर्मा बेहद सरल, सौम्य और इमानदार दिखने वाले सपा नेता अंकुर वर्मा की पत्नी हैं। जनता ने इन्हे ऐसी शानदार जीत दी कि पिछले सारे रिकार्ड टूट गये। लेकिन विकास का पहिया ज्यों का त्यों जाम है, अपनी जगह से हिला तक नहीं।
जबकि जनता पूर्व के नगरपालिका अध्यक्षों की तुलना में नेहा वर्मा से कुछ ज्यादा ही आशान्वित है। रेलवे स्टेशन से लेकर अमहट तक कुछ 6 या 7 किमी में बसे शहर में 50 फीसदी रोड लाइटें कई महीनों से खराब हैं। डिवाइडर के किनारे घासफूस उग आये हैं, धूल मिट्टी जमी है, नालियों की स्थिति काफी दयनीय है। इन सब समस्याओं के समाधान के लिये बजट की जरूरत नही है। इसके लिये नगरपालिका के पास मानव संसाधन और उपकरण सबकुछ हैं। बस इच्छाशक्ति की कमी है। डिवाइडर अपना अस्तित्व खोते जा रहे हैं, रोडवेज पर पेट्रोल पंप के सामने छोटी से पुलिया 2 साल से बन रही है। अभी भी अधूरी है।
धरना प्रदर्शन हुआ, मौके पर पहुंचे अधिकारियों ने कुछ ही दिनों में सब ठीक करने का वादा किया, लेकिन वादा झूठा निकला। शहरी क्षेत्र में पेयजल का अभाव है, यूरिनल की गंदगी ऐसी कि खड़े होने की हिम्मत नही कर सकते। अतिक्रमण से शहर सिकुडता जा रहा है। पार्किंग के लिये अभी तक समुचित प्रबंध नही किये गये। पूर्व के चेयरमैन द्वारा मनमाने तरीके से कई गुना बढ़ाये गये दुकानों के किराये का पुनः मूल्यांकन नही किया गया। ये सारी समस्यायें धीरे धीरे विकराल रूप लेती जा रही हैं। देखना होगा नगरपालिका समाधान की ओर बढ़ती है या फिर पिछला रिकार्ड तोड़ने की तैयारी है।