यूपी डेस्कः उत्तर प्रदेश मानवाधिकार आयोग लखनऊ के निर्देश पर गोंडा में 7 पुलिसकर्मियों के खिलाफ लूट डकैती और घर में घुसकर मारपीट जैसे गंभीर धाराओं में केस दर्ज हुआ है। मामले में कटरा बाजार थाने में करनैलगंज कोतवाल समेत सात पुलिसकर्मी आरोपी हैं। फिलहाल पुलिस ने मुकदमा दर्ज होने के बाद जांच की और आरोप गलत पाए गए। एफआईआर को पूरी तरीके से खत्म कर दिया गया है और पूरे मामले में पुलिस द्वारा फाइनल रिपोर्ट दाखिल कर दी गई है।
पुलिस को दी गई तहरीर में कैथौली थाना करनैलगंज निवासी जयप्रकाश ने बताया है कि मैं लखनऊ हाई कोर्ट में एक अधिवक्ता के रूप में प्रैक्टिस कर रहा हूं। हमारे पिता का एक मकान 2016 से निर्माणाधीन है और निर्माणाधीन मकान का एक हिस्सा पड़ोसी विवादित बता रहे हैं। जिसको लेकर के हमने एक मुकदमा दायर किया था और मामला न्यायालय में चल रहा है। मैंने विवादित जगह को छोड़कर निर्माणाधीन मकान में छत डलवाने को लेकर उप जिलाधिकारी करनैलगंज को पत्र लिखा था जिसको लेकर के एसडीएम करनैलगंज ने करनैलगंज कोतवाल को निर्देश दिया था कि विवादित जगह को छोड़कर निर्माणाधीन मकान पर छत डलवाने दी जाए।
इसके बाद मैंने छत डलवाने को लेकर शटरिंग का काम शुरू किया। इस दौरान पुलिस काम रुकवाने के बहाने 50 हजार रुपए की मांग करती रही। भभुआ चौकी इंचार्ज उमेश कुमार सिंह ने कहा कि 50 हजार दे दो। मामला कोतवाल के जानकारी में है और मैनेज करना पड़ेगा, नहीं तो हाथ पैर तोड़ दूंगा। जब मैंने पैसा नहीं दिया तो काम रुकवाने के बहाने करनैलगंज कोतवाल सुधीर सिंह, सब इंस्पेक्टर अंकित सिंह, अमर सिंह, वेद प्रकाश शुक्ला, भभुआ चौकी इंचार्ज उमेश कुमार सिंह, दीवान शिव प्रकाश पाठक, सिपाही संदीप सिंह घर आये। मुझे मेरे भाई और मेरे पिता को मारने और गाली देने लगे। मेरी बहन और मां थी उनको भी मारने पीटने लगे। एक बक्से में रखे 1 लाख 70 हजार रुपए, 9 सोने-चांदी के के जेवर, 40 लीटर पीपीरमिंट का तेल लूटने लगे।
जब रोकने का प्रयास किया तो मारपीट करते हुए मौके से फरार हो गए और पुलिस पर हमला दिखाकर मुकदमा दर्ज कर मुझे जेल भेज दिया। लूट के दौरान पुलिस ने मेरे भाई सूरज और मेरे पिता का हाथ पैर तोड़ दिया था और भाई मेरे साथ जेल में था जिसके पैर में प्लास्टर बंधा हुआ था। कटरा बाजार पुलिस ने पीड़ित की तरफ से दी गई तहरीर और उत्तर प्रदेश मानवाधिकार आयोग लखनऊ के निर्देश पर करनैलगंज कोतवाल सुधीर कुमार सिंह सहित सात पुलिसकर्मियों के खिलाफ धारा 395,452,427,323,504,506 के तहत मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू की तो जांच में पीड़ित द्वारा लगाए गए सारे आरोप गलत पाए गए और कटरा बाजार पुलिस ने पूरे मामले में फाइनल रिपोर्ट लगाते हुए पूरे एफआईआर को खत्म कर दिया है।