बस्तीः जनपद में मंत्रियों और वीआईपी का आना जाना इस सरकार के कार्यकाल में ऐसे हो रहा है जैसे उनका यह गृह जनपद हो, लेकिन जनता समस्याओं से राहत नही मिल रही है। खराब सड़कें, अस्पतालों में दवाइयों की कमी और बाहर से जांच कराने की मजबूरी के साथ ही छुट्टा जानवरों और बंदरों ने जीना मुश्किल कर दिया है। रोजाना बंदरों और छुट्टा जानवरों के हमले की खबरें आ रही हैं। हैरानी की बात ये है कि वीआईपी मूवमेंट से जिन सुधारों की उम्मीद की जाती है वह नही के बराबर है। यह महज औपचारिकताओं तक सिमटकर रह गया है। डीएम का आदेश भी अधिकारी नहीं मानते। उनके द्वारा जारी आदेश भी रद्दी की टोकरी में डाल दिये जाते हैं। नतीजा ये है कि अब तक तमाम लोग छुट्टा जानवरों के हमले से अपनी जांन गंवा चुके हैं।
भला हो बंदरों का वे काटकर ही छोड़ देते हैं। ताजा प्रकरण की बात करें तो डीएम प्रियंका निरंजन ने 20 मार्च को सूचना विभाग के माध्यम से विज्ञप्ति जारी कराया। इसमे उन्होने 25 मार्च तक सभी तहसीलदार, अपर मुख्य अधिकारी जिला पंचायत, पशु चिकित्साधिकारी, बीडीओ तथा नगर निकाय के अधिशासी अधिकारियों को निर्देशित किया है कि 25 मार्च तक वे अपने संयुक्त हस्ताक्षर से इस आशय का प्रमाण पत्र उपलब्ध करायेंगे कि सभी छुट्टा पशुओं को गो आश्रय स्थलों में संरक्षित कर लिया गया है।
इस आदेश का कोई असर नही है। डीएम द्वारा दी गई उेट लाइन के तीन दिन बाद भी तस्वीर नही बदली। शहर से लेकर गांव तक झुण्ड के झुण्ड छुट्टा जानवर देखे जा सकते हैं। ये कब किस पर हमलावर हो जायेंगे कहा नही जा सकता। काश! इन औपचारिकताओं का कुछ असर होता। DM’s order ineffective, VIP movement is just a sham, people’s problems are not decreasing