यूपी डेस्कः पीलीभीत के अमरिया थाना क्षेत्र के एक गांव में 14 साल की दलित बच्ची के साथ रेप का मामला सामने आया है। 3 लड़के बच्ची को खेत से उठा ले गए और चौथे को सौंप दिया। उसने बच्ची के साथ रेप किया। अगले दिन आरोपी के फूफा ने बच्ची को थाने में सौंप दिया। पीड़िता के पिता चाहते थे कि चारों के खिलाफ केस दर्ज हो, लेकिन पुलिस समझौता करवाने में लगी थी।
पिता ने इन सबसे परेशान होकर फांसी लगाकर जान दे दी। यह घटना सुनने में जितनी आसान लग रही है, उतनी ही उलझी हुई है। यहां आरोपियों के बीच मुख्य आरोपी की कहानी उलझी हुई है। आरोपियों की प्रशासनिक पहुंच है। पुलिस का लचर सिस्टम है और गुंडागर्दी है कि ‘केस वापस ले लो वरना मार दिए जाओगे।’ इन सबके बीच पीड़ित परिवार उस दोराहे पर खड़ा हो गया, जहां एक तरफ मौत थी तो दूसरी तरफ जीवनभर की मानसिक पीड़ा। उसने मौत चुन ली।
पीड़ित बच्ची की उम्र 14 साल है। उसने पिछले साल 8वीं की पढ़ाई पूरी की। पिता खेती-किसानी करके परिवार चलाते थे। 9 मई को भी रोज की तरह पिता और भाई गन्ने के खेत में काम कर रहे थे। पीड़िता शाम 4 बजे घर से पानी और गुड़ लेकर खेत के लिए निकली। घर से खेत की दूरी करीब 1 किलोमीटर थी। रास्ते में ही उसे हरेंद्र, रोहित और शेखर मिले और बहला-फुसलाकर अपने साथ ले गए। बच्ची खेत में नहीं पहुंची, तो पिता-भाई को चिंता हुई। दूसरी तरफ घर पर मां को भी कि अब तक वापस क्यों नहीं आई?
बेटी का गायब होना सुनते ही गांव के तमाम लोग खोज में जुट गए। रात के करीब 8 बज गए, लेकिन कुछ भी पता नहीं चल सका। पीड़ित परिवार आधी रात अमरिया थाने पहुंच गया। बेटी के गायब होने की गुमशुदगी दर्ज करवाई। सभी चारों आरोपी एक ही गांव के हैं, जो पीड़िता के घर से करीब 3 किलोमीटर दूर है। आरोपी राहुल के चाचा बताते हैं, ’’तीनों लड़कों ने लड़की को अपने गांव के ही बाहर एक जगह पर रखा। राहुल को फोन करके बुलाया और उसे सौंप दिया। राहुल उस लड़की को लेकर अपने फूफा मनोज के नए घर किच्छा चला गया। वहां उसने उसके साथ रेप किया। यह बात राहुल के फूफा को पता चली। तो वह अगली सुबह लड़की को लेकर थाने पहुंचे।